बस्तर चो नवा खाई तिहार

0

 



भारत वर्ष के छत्तीसगढ़ राज्य का बस्तर संभाग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहाँ की जनजातीय विशेषता ही नहीं वरन यहाँ की जनजातीय संस्कृति पुरे विश्व में प्रसिद्ध है | यहाँ पर प्रमुख रूप से माड़िया,गोंड़ 
,मुरियाधुरवाहल्बा भतरा आदि जनजाति निवास करती हैं | बस्तर संभाग वन संपदा, प्राकृतिक सुन्दरता और खनिज संपदा की प्रचुरता से भरा हुआ है | यहाँ की हरियाली और पेड़-पौधे इसलिए हरे-भरे हैं क्योंकि यहाँ के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं। जिस प्रकार से इन जनजातीय वर्गों में विभिन्नता भरी हुयी है वैसे ही इनकी संस्कृति भी अनेक रंगों से रंगा हुआ है | 

अन्य त्योहारों के अपेक्षा आदिवासी जनजाति के त्योहारों को मनाने की शैली भी भिन्न है | चलिए आज आदिवासी तिहार (त्यौहार) की श्रृंखला में नवा खाई तिहार का विशेष महत्त्व है क्योंकि आदिवासी जनजाति समूह का वर्ष का पहला तिहार होता है, तो चलिए आज बस्तर का नवा खाई तिहार के बारे में जानते हैं |

जनजातीय समाज अपनी नई फसल को उपयोग करने से पहले अपने पुरखों /इष्ट देवता /पेन को नया धान को अर्पित करते हैं। प्राचीन परंपराओं अनुसरण करते हुए आदिवासी जनजाति समुदाय धान की नई फसल की बालियों को तोड़कर धान एकत्र करते है, फिर नया हांडी में धान को भून कर चिवड़ा बनाया जाता है | इसके बाद पूरा परिवार नए धान को ग्रहण करने के पूर्व अपने पुरखों की देवी/ देवता /पेन को समर्पित (टीका मांडना) कर उनका आव्हान करते है | इसके पश्चात कूड़ही के पत्ते ( कुडई पान ) का उपयोग करते हुए नये फसल का ग्रहण किया जाता है | 


नवा खाई तिहार में परिवार के बड़े सदस्य छोटे-छोटे बालकों को नये-नये कपड़े खरीद कर देते हैं एवं पारंपरिक शिक्षा देने के उद्देश्य से मिट्टी से निर्मित बैल-नांगर (हल ) की जोड़ी देते हैं और उन्हें खेती-बाड़ी करने की शिक्षा देते हैंवही बालिकाओं को मिट्टी से बने चूल्हा, बर्तन, कटोरियाँ एवं छोटे-छोटे हांडी के बर्तन देकर उन्हें अच्छे गृहिणी बनने के गुण सिखाया जाता है | घर के बड़े सदस्य इन मिट्टी के पात्रों को गाँव में निवास कर रहे कुम्हार जाति के यहाँ से विशेष रूप से इसी त्यौहार को मनाने के लिए लेकर आते हैं |


टीका मांडने ( प्रसाद ग्रहण )  पश्चात घर के सदस्य अपने कुटुम एवं सगा परिवार के सदस्यों के यहाँ घर में बनायीं गयी दार बोबो (दाल-बड़ा) गुर बोबो ( गुड बड़ा ), लाई -चिवड़ा लेकर जोहार – भेंट कर नवा खाई त्यौहार में आपका धन-धान्य एवं यश में वृद्धि की बधाई देते हैं तथा आपस में सब मिलकर नवा खाई त्यौहार का उत्सव बनाते हैं | 

इसके पश्चात नवा खाई के दुसरे दिन गाँव में बासी तिहार ( त्यौहार का दूसरा दिन ) बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है जिसके अंतर्गत परंपरा के अनुसार जनजातीय समाज चावल से बनी हुयी पेय लंदा, महुए से बनी मंद (शराब), महुए से बनी सुराम (पेय पदार्थ) और मांस का ग्रहण सामूहिक रूप से बैठ कर करते हैं | 

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !